July 13, 2010

Its My "Mistake" ....

Part 1 - 28th June, 2010


“हाँ, मैं टिकट ले रहा हूँ, अभी सीट खली है मिल जायेगा” (मैंने फोन पर पापा से कहा)

“वैसे कब की टिकट मिल रही है”

13th July की, उनका इंडक्शन 16th को है न?”

“हाँ, किसी ऐसी ट्रेन मैं लेना जो यहाँ से सीधे वहाँ पहुंचे”

“गरीब-रथ में खाली है, और ट्रेन भी अच्छी है, ले लूँ?”

“ठीक से देख कर ले लो”

(फिर मैंने फोन रख दिया)

थोड़ी देर इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर इधर-उधर करने के बाद टिकट मिल गया! मैंने पाप को फोन किया और टिकट मिल जाने की बात कही!

“ट्रेन यहाँ से कितने बजे है?”

“रात के साढ़े बारह बजे”

“ठीक है, 13th को ना?”

“हाँ”

(फिर मैंने फोन रख दिया)


Part 2 - 12th July 2010

मेरे फोन की एयरटेल टोने ने मेरी नींद में दखल दिया! मैंने स्क्रीन पर आ रहे नाम को देखा! पापा फोन कर रहे थें! मैंने जैसे तैसे होश संभाला और फोन का ग्रीन बटन दबाया!

“हेलो”

 “हाँ, बोलिए!”

“अभी तक सोये हुए हो?”

“हाँ, कल रात काफी देर से सोया” (मैंने अनमने ढंग से जवाब दिया)

“ठीक है, उठो तो फोन करो मुझे” (पापा समझ गए, मैं नींद मैं हूँ)

“ठीक है, मैं करता हूँ”

फोन रखने के 20 min. बाद मैं उठा, और फिर सबसे पहले मेसेज देखे! फिर पापा का नंबर डायल किया! इसी बीच में मैंने लैपटॉप ऑन किया! और इन्टरनेट चालू होने का इंतज़ार कर रहा था!

“हेलो”

“हाँ, बोलिए”

“तुमने टिकट अभी तक मेल नहीं किया है क्या”

“नहीं, अभी थोड़ी देर मैं करता हूँ”

“जल्दी करो मैं होल्ड करता हूँ”

“नेट शुरू नहीं ही हो रहा है” (नेट में कुछ प्रॉब्लम था), मैं जैसे ही नेट चालू होता है आपको मेल करता हूँ”

“ठीक है, जल्दी करो, मैं ऑफिस में चार बजे तक ही हूँ”

“ठीक है”

इतना कह कर मैंने फोन रख दिया, मैं नेट कंनेक्ट होने का इन्तेजार कर रहा था! करीब तीन बज 
गए, नेट कंनेक्ट नहीं हो पाया! इस बीच पापा ३ बार और फोन कर चुके थें!

“अभी तक नहीं भेजा?’

“नहीं, क्न्नेक्ट नहीं हो रहा”

“अच्छा अपना पासवर्ड दो, मैं यहाँ से निकाल लेता हूँ!”

“मैं आपको रात तक मेल करता हूँ कल आप सुबह टिकट ले लीजियेगा, ट्रेन तो रात में है ना”

“ठीक है, जैसा बोलो”

“हाँ, कल सुबह घर से ही निकाल लीजियेगा”

“ठीक है, तुम भेज देना”

“हाँ, पक्का! नेट चालू होते ही भेजता हूँ”

नेट चालू नहीं हुआ, शाम के करीब ५ बजे के आस पास में जब नेट चालू हुआ तो मुझे किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा! मैंने सोंचा रात को मेल कर देता हूँ!


Part 3 – 13th July 00:30 hrs

रात के करीब साढ़े 12 बजे, मैंने टिकट मेल करने की सोंची! मैंने अपना इंडियन रेलवे का अकाउंट 
log-in किया, और टिकेट कॉपी करके मेल करने लगा! तभी मैंने ट्रेन की departure time देखी! एक पल के लिए मानो मेरे होश ही उड़ गए!

मैंने हडबड में पापा को फोन किया!

“ट्रेन तो आज रात की ही है”

“क्या बात कर रहे हो” (पापा नींद में ही हडबडाकर बोले)

“हाँ, dep. Time 12.34 रात का है! मतलब ट्रेन 13th को तो है, पर आज ही रात में”

थोड़ी देर के लिए जैसे सब कुछ रुका सा गया हो! मुझे समझ नहीं आ रहा थाम कि मैं क्या करूँ! बस, चुप-चाप अब डाट सुनने L का इंतज़ार कर रहा था! और अगले ही पल ....

“मैंने बोला था तुम्हे, मुझे मेल कर दो, पर तुम तो ....” (पापा मुझपर ....) L

“मुझे बिलकुल नहीं .... (मुझे अपनी इतनी बड़ी गलती का एहसास था, पर मैं अब चाह के भी कुछ नहीं कर सकता था” L

“हाँ, अब कर भी क्या सकते हैं, अगर जब मैंने बोला था तो भी मेल कर देते तो शायद .... (पापा गुस्से में बोले)” L

“मैं चुप-चाप डाट सुनते रहा, मैं अब कर भी क्या सकता था .... (मुझे अपनी गलती का एहसास था .... )  L

जिंदगी में हमसे, कभी-कभी अनजाने में कुछ ऐसा हो जाता है, जिसके लिए हम चाह के भी कुछ नहीं कर पातें! पर, हाँ! उनसे जो सिखने को मिलता है, वो हम कभी नहीं भूलते!
pratik' 

July 12, 2010

An "Untold" story .... (continued)

Second Chapter -

हम दोनों साथ थें! एक-दूसरे से चिपके पड़े! मैं उसके सांसों की गर्मी महसूस कर सकता था! वो बिना कुछ बोले, बस मुझसे लिपटी पड़ी, आने वाले पल का इंतज़ार कर रही थी!


“तुम्हे डर तो नहीं लग रहा”

“लग रहा है, हम पकडे गयें तो?”

“डर मत! मैं हूँ तेरे साथ, बस मुझे पकड़ के रखना”(मैं धीरे से फुसफुसाया)

उसने अपने हाथों के घेरे को कसते हुए, मुझे और जोर से पकड़ लिया! मेरे शरीर में एक अजब सी सिरहन सी दौड गयी, एक अजीब सा एहसास मुझे घेरे जा रहा था! मैंने उसकी तरफ देखा, वो चुप-चाप आँखें बंद किये, अपने सर को मेरे सीने से लगाये ना जाने क्या सोंच रही थी, उसका वो मासूम सा चेहरा मानो दिल में ही उतर गया! वो डर रही थी, उसके डर को कम करने को, मैंने अपने हाथों को उसके चारों तरफ मजबूत करते हुए ये एहसास दिलाया कि, मैं उसके साथ हूँ! 


“डर मत! हमे कोई भी नहीं ढूँढ पायेगा! बस थोड़ी देर और फिर हम ....” (उसने मेरी बात को बीच में ही काट दिया)  

“मुझे मालूम है, तू है न मेरे साथ?” (उसने मेरी तरफ देखते हुए पूछा)


मैंने सिर्फ सर हिलाकर, हामी भर दी!

हम दोनों एक अजीब से मतलब को जी रहे थें! आज पहली बार वो मेरे इतने करीब थी! सबकुछ भूलकर,बस इंतज़ार कर रहे थें! करीब आधे घंटे तक मैं उस एहसास का कायल होता रहा! घडी की टिक-टिक और उसकी गर्म साँसे जो मेरे गर्दन को छु रही थी, उनकी वजह से दिल बेचेंन सा हो रहा था! उसकी साँसों की खुसबू तो जैसे मेरे अंग-अंग को मदहोश कर रही थी! मैंने अपने हांथों को, धीरे से सरका कर उसके कमर के करीब रख दिया, वो अब भी मुझे जोर से पकडे हुई थी!

तभी अचानक, एक जानी-पहचानी सी आवाज ने हम दोनों को चौंका दिया! कोई हमारी तरफ ही आ रहा था ....

“अब क्या होगा ? चलो चलते हैं”

“चुप हो जाओ” (मैंने धीरे से, उसे चुप होने के लिए कहा)


“पर हम पकडे गयें तो”


“तुम प्लीज ऐसी बातें मत करो, कुछ नहीं होगा” (डर तो मुझे भी लग रहा था, पर मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए, बस जो मन में आया वो कह दिया)


वो आवाज धीरे-धीरे पास आ रही थी, हमारी धडकनों की रफ़्तार करीब दुगनी हो गयी थी! हमे पकडे जाने का डर सता रहा था! हम बिलकुल शांत पर घबराए हुए थें, बस इंतज़ार कर रहे थें ....

और तभी .... “तुम दोनों” (किसी ने हमे देखकर चौंकते हुए पूछा) ! 


Who is she? 
Where we are?
Who Caught us?
will answer all these in its next Chapter.





Follow me for 3rd Chapter. To be Continued ....
pratik'



July 11, 2010

मैं तेरे पास आना चाहता हूँ ....

तू कहाँ है! मैं बहुत परेशान हो गया हूँ, थक गया हूँ, तेरी बहुत याद आ रही है! कुछ महीनो से भागते-दौड़ते हिम्मत टूट सी गयी है, अब तेरी गोद में सिर रखकर सोने का मन हो रहा है! भाग कर, सब कुछ छोडकर, बस तेरे पास आना चाहता हूँ! कई दिनों से ठीक से सोया तक नहीं हूँ! कल रात सपना देखा, “मैं तेरे पास हूँ, तू अपने हाथों से खिला रही है, मेरे सर पे हाथ फेर कर मेरे बालों को संवार रही है, इस बरसते प्यार को मैं अपनी झोली में भर लेना चाहता था, पर अचानक मेरी नींद खुल गयी, अपने आप को अकेला पाया, उदास हुआ, फिर पूरी रात सो नहीं पाया” मुझे तेरे पास आना है, मैं परेशान हो गया हूँ!

मैं कितने दिनों से अकेले इस अनजान शहर में एक-एक दिन काट रहा हूँ! जब से यहाँ आया हूँ, तब से मेरी उलझने बढ़ सी गयी है! कोई सुनने वाला नहीं है, बहुत कुछ बोलना चाहता हूँ, बहुत कुछ कहना चाहता हूँ, पर ....

“माँ” तू कहाँ है! तेरी तरह मेरा ख्याल रखने वाली मेरी खूबसूरत सी परी भी मुझसे रूठ सी गयी है, वो नन्ही सी जान भी मुझसे कई हजार मील दूर है, माँ आज मुझे तेरी बहुत याद आ रही है! माँ, मेरे पास आ जा, अपने सिने से लगा के मुझे अपनी ममता की छावं में थोड़ी देर के लिए छिपा ले! मम्मा अपने स्नेह के चादर से मुझे ढँक कर मुझे पनाह दे दे, मैं सिर्फ तेरे साथ रहना चाहता हूँ, तेरे पास रहना चाहता हूँ! माँ, तेरा ये बच्चा, समझाते-समझाते थक सा गया है, अपने गरिमामयी आँचल से मुझे ठंडक दे दे! माँ मुझे कहीं दूर ले चल, वरना ये दुनिया वाले तेरे बच्चे को जीने नहीं देंगे ....


माँ तेरे हाथ से बने खाने का स्वाद तो जैसे, भूल ही गया हूँ! वो गर्म-गर्म नरम सी फूली-फूली रोटियां, वो राजमे की सब्जी, जब तू अपने ममता और स्नेह की थाली में सजाकर, खुद अपने हाथों से खिलाती थी, मुझे अपने हांथों से पुचकारती थी, तो जैसे पुरे संसार का प्यार मेरे लिए उमड़ पड़ता था, उस असीम एहसास में डूब जाने का जी चाहता है, माँ मैं तेरे पास आना चाहता हूँ .... 
                                                                                       
माँ मैं खो जाना चाहता हूँ, इस जगह से दूर जाना चाहता हूँ, तू बस मेरे पास आ जा! मुझे मेरे बचपन में लेके चल, जहां तू मेरी गलतियों को भी मुशकुरा कर माफ कर देती थी, मेरी ढाल बनकर किसी भी मुशीबत से मुझे दूर रखती थी, दूर खड़े होके मुझे अपने छोटे-छोटे पैरों पे चलता देखती थी, जहाँ तू सिर्फ इसलिए खुश रहती थी, क्यूंकि मैं खुश रहता था! माँ आज वो खुशी, मेरे से रूठ सी गयी है, मुझे वो वापस दिला दे, तू बस! मेरे पास आ जा .... (Missing u Mum)  

pratik'

July 9, 2010

Love, Friendship, Trust & Forgive


जब कोई बात बिगड जाये, जब कोई मुश्किल पड़ जाये, तुम देना साथ मेरा ओ हमनवा ! न कोई है, न कोई था, जिंदगी मैं तुम्हारे सिवा, तुम देना साथ मेरा ओ हमनवा !


प्यार वो आधार होता है जिसके सहारे हम अपनी पूरी जिंदगी गुजार लेते हैं ! ये वो अनमोल इकाई है, जो हमे दूसरों से बांधे रखता है! प्यार वो एहसास है जिससे शब्दों में बयां नहीं कर सकते! यह अद्भुत है, सुन्दर है, बहुमूल्य है, यह अविरल है! यह एक दूसरे के प्रती निष्ठा और विश्वास का प्रतीक है! जहां प्यार होता है वहाँ तकरार भी होता है! तकरार यह दिखाता है कि तुम्हारा प्यार 
कितना गहरा है!

In any field of activity, conflict might arise. When they arise, be indifferent to them. That is the indication that your love is strong. You know, when you see the intention behind a mistake as right, the mistakes doesn’t bother you. Because when they are doing good things with good intention and the action has gone wrong, then you don’t mind that Pram Pujya Shri Shri Rvishankar Ji (Guruji). 


गुरूजी ने ठीक ही कहा है, हम अगर किसी की भलाई के लिए, कुछ अच्छा करने के लिए अगर गलत तरीके का सहरा लें या गलत हो तो उसके पीछे छिपी उसकी मंशा को देखे न की उसके तरीके को! जो इंसान तुम्हे प्यार करता है, वो चाह के भी तुम्हारे लिए बुरा नहीं सोंचेगा, बुरा नहीं बोलेगा, वो तो बस तुम्हे चाहता है, और तुम्हे ये समझना चाहिए कि उस इंसान के ऐसा करने के पीछे उसकी क्या मंशा थी, उसके ऐसा करने से तुम्हे क्या मिला! वो तो तेरी खुशी के लिए, तेरी सिर्फ एक मुश्कान के लिए शायद कुछ भी करे, शायद कहीं वो गलत भी हो, पर तुम्हे तो समझना चाहिए, की उसने ऐसा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए किया! अगर वो कोई बात करता है, जो तुम्हे बुरी लगे, ये जरूरी नहीं है की उसने ये जानबूझ के किया हो, हो सकता है, वो भी तुमसे वो चीज ना चाहता हो, पर उसने उसे बताने के गलत तरीके से बोला हो, कम से कम तुम्हे तो ये समझना चाहिए क्यूंकि तुम शायद उसकी दोस्त हो, उसकी पत्नी हो, उसकी बहन हो! अगर तुम किसी रिश्ते को निभाना चाहते हो, चाहे वो, दोस्ती का हो, प्यार का हो, भाई-बहन का हो, तुम्हे समझना चाहिए, जो तुम्हे प्यार करता है, वो तुम्हारा दिल कभी भी जानबूझकर नहीं दुखायेगा!


यह सिर्फ इस तरह है कि, कोई डॉक्टर अपने मरीज को बचाना चाहता है, पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है, हम डॉक्टर को गलत नहीं कह सकते क्यंकि उसकी मंशा गलत नहीं थी! इसी तरह एक पति अपनी पत्नी से, एक दोस्त अपने दोस्त से झूठ क्यूँ बोलता है ताकि वो जिससे प्यार करता है, वो कही रूठकर उससे दूर ना चली जाये, उसे डर होता है कहीं वो उसे खो न दे! बस एक यही वजह होती है कि वो कुछ अलग तरीके से बोलता है, क्यूंकि तुम ही वो एक इंसान हो, जिसे शायद वो जानता है की, वो उसको समझेगी! इसमें गलत सिर्फ बोलने का तरीका होता है ना कि, वो इंसान और उसकी मंशा! वो अपनी भूल मानने को भी तैयार है, बस तुम्हे उसके किये हुए गलतियों के पीछे की मंशा को देखना चाहिए, ना की उसके भूल को! किसी भी रिश्ते की बुनियाद प्यार और भरोसा ही होते है, तुम्हे भरोसा करना चाहिए, कम से कम प्यार के नाते!

किसी भी इंसान के लिए सबसे बुरा दिन वो होता है, जब कोई अपना उससे रूठकर कहीं दूर चला जाये! पर, उस इंसान को रूठने से पहले कम से कम एक बार तो रुक कर ये जानने की कोशिश तो करनी चाहिए की उसने ऐसा क्यूँ किया! शायद उसने ऐसा सिर्फ तेरा प्यार पाने के लिए किया हो, इसमें उसकी गलती क्या है ? वो बेचारा तो सिर्फ तेरे सपने संजोये, तेरी दोस्ती और भरोसे को पाना चाहता है, अगर उसने कहीं गलत तरीके से कुछ कह भी दिया, तो कम से कम एक दोस्त के नाते तुम्हे तो समझना चाहिए, उसपे भरोसा करना चाहिए!

हाँ, मैं सिर्फ प्यार के लिए जीता हूँ, नहीं चाहिए मुझे धन दौलत, नहीं चाहिए ऐसो आराम, मुझे तो बस तेरा भरोसा चाहिए, तेरा दोस्ती चाहिए और कुछ नहीं ! 

Appreciated by Blog of Sri Sri Ravi Shankar Ji [blog - Faith is to love something you have no idea about.]
       pratik'



July 8, 2010

My Promise, I will be back But ….(मैं जरूर आऊंगा)




तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया तुमने मेरी जिंदगी बदल दी! तुमने जाने–अनजाने में मेरी जिंदगी को एक मतलब दे दिया! अबतक तो में अपनी राहों पे अकेले तुम्हारे सपने सजाये आगे बढ़ रहा था, पर अब तो तेरी राख मुट्ठी में दबाए, जीने के लिए मतलब ढूंढ रहा हूँ! शायद, मैंने तुम्हे जला दिया, मर चुकी हो तुम मेरे लिए!         

पर, तुमने मुझे नई जिंदगी दी है! तुमने सिखा दिया यहाँ कोई अपना नहीं है, यहाँ किसी पर भरोसा करना तो दूर उससे बात करना भी एक अपराध है!  तुमने तो मेरे लिए “दोस्ती” के मायने ही बदल दिए, मुझे समझ नहीं आ रहा कि “आखिर दोस्त होते कौन है?”  आज एक बार फिर मुझे दोस्ती के सही मायने ढूंढने पड़ेंगे, ये बहुत जरूरी है, क्यूंकि मैं फिर से किसी को अपनी जिंदगी के साथ इस तरह खेलने की इजाजत नहीं दे सकता!

तुम आज भी इतना कुछ होने के बाद दूर खड़ी मुस्कुरा रही हो, कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं ! मैं समझ नहीं पा रहा कि, क्या तुम वही हो, जिसने मुझे अपना सहारा दिया, हर मुश्किल में जब मुझे जरूरत होती थी, उससे पहले तुने मेरा हाथ थामा और आगे बढ़कर मुशिबतों से टकराना और जिंदगी जीना सिखाया! क्या तुम वही हो ? जिसने मेरे आँख से निकले हर आंशु कि कीमत समझाई, और आज उन  आंशुओ की वजह भी ! मेरे दूर जाने के डर से भी कांप उठाने वाली, आज तुमने ही मुझे अपनी जिंदगी से निकाल फेंका! क्या मैं तेरे लिए इतना बुरा हो गया कि, आज जब मुझे तेरी सबसे जयादा जरूरत थी, तभी तुमने भी अपने हिस्से की खुशी मांग ली! न चाहते हुए भी मुझे “अपने आप” से अलग होना पड़ा! मैं रोया, चिल्लाया, तुझसे अपनी जिंदगी की भीख मांगी पर सब कुछ तुमने ठुकरा दिया, शायद मुझे मालूम है तुमने ऐसा क्यूँ किया, क्यूंकि तुम आज भी इतना कुछ होने के बाद दूर खड़ी मुस्कुरा रही हो ! 

मैं ये नहीं कहता की तुम मतलबी हो गयी हो ! नहीं, तुम तो ऐसी ही थी ! मेरी गलती शायद यही रही कि, मैंने तुम्हे बदलने की नहीं, जैसी थी वैसी ही पाने की कोशिश की, और शायद मेरी भूल का यही अंजाम मुझे ही भुगतना पड़ेगा! मैं ईश्वर का धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझे ऐसा बनाया की मैं सिर्फ, तेरी अच्छाई ही देख सकता हूँ, मैं तो तेरा दूसरा और छिपा हुआ रूप तो देखना भी नहीं चाहता ! मैं खुश हूँ कि भगवान ने मुझे ऐसा बनाया ! मैंने भरसक ये कोशिश कि थी की, तुझे उसी तरह पा सकूँ जिस तरह तुम्हे चाहा था, पर शायद तू आसमान में चमकते उस तारे की तरह है, जो सबसे चमकीला और खूबसूरत है, पर उसका वजूद सिर्फ और सिर्फ आकाश के किसी एक कोने मैं है, ऐसा लगता है, जैसे तुम्हे सबने नकार दिया हो !




आज तुमने जो मुझे सिखाया है मैं उसका जिंदगी भर शुक्रगुजार राहुंगा! तुने शायद मेरी हंसी छीन ली है, पर तेरी कसम, अब तू मुझे रुला नहीं सकती! मैं वापस आऊंगा और तुमने जो किया है उसे वापस भी दूँगा! मैं तेरे सामने ही रहूँगा पर तब शायद तुम चाह के भी मुझ तक नहीं पहुंच पावोगी, ये मेरा तुमसे वादा रहा! तुमने मुझे कुछ करने को कहा है, मैं वो करूँगा, बदलूँगा अपने आप को उस तरह, और वो भी सिर्फ इसलिए कि, तुम्हे बता सकूँ की अगर तुम मेरे साथ ऐसा न भी करती तो भी मैं बदल जाता! मैं अपना वादा जरूर पूरा करूँगा ये मेरा वादा रहा !

कुछ दिनों के लिए मैं किसी भंवर मैं फँस गया था, पर अब शायद उससे बाहर हूँ, मैं अपनी जिंदगी की मंजिलों को भी भूल रहा था, पर धन्यवाद तुम्हारा जो तुमने सही वक्त पर ऐसा किया! अब मैं अपनी मंजिल की तरफ दुगनी तेजी के साथ आगे बढूंगा, और उसे पाने से मुझे कोई नई रोक सकता! क्यूंकि आज मुझे मालूम है, वो उपरवाला मेरे साथ है और वो मुझे अब हारने नहीं देगा, बस कमी होगी तो सिर्फ तुम्हारी, क्यूंकि जो जगह तुम्हारी है, उसे किसी और को नहीं दे सकता! अभी तो जा रहा हूँ, क्यूंकि अब मेरी मंजिल मुझे बुला रही है, बहुतों को मेरी जरूरत है, पर मैं वापस आऊंगा, जरूर आऊंगा, और सिर्फ तेरे लिए ही आऊंगा, ये बताने कि मैं कभी बुरा नहीं था और तब शायद सब कुछ अलग हो ....

मैं वापस आऊंगा, मैं वापस आऊंगा .... .... .... .... जरूर आऊंगा .... .... .... ....


pratik'

July 7, 2010

Kites .... The Life








मैं पतंग हूँ! हाँ, मैं उड़ना चाहता हूँ, सपनो कि दुनिया से बाहर निकलना चाहता हूँइस नीले आकाश में दूर कहीं खो जाना चाहता हूँ! हाँ, मैं अब जीना चाहता हूँ! 


जिंदगी, एक पतंग कि तरह है, जो तब तक उडती रहती है, हवाओं से खेलते रहती है जबतक उसका दिल चाहे!  हम आकाश को देखते हैं, तो मन में उसे छु लेने कि एक अजीब सी भावना हमे घेरे रखती है! हम एक पतंग कि तरह जिंदगी में उड़ान  भरते हैं, धीरे धीरे उचाईयों को छुते हैं! शुरुआत में हम जब उड़ना सीखते हैं, तो कई बार पतंग बार सही उड़ान नहीं भरने कि वजह से सीधे निचे गिर जाती है! हम दुबारा कोशिश करते हैं, इस बार पिचली बार कि गलतियों को याद रखते हैं और फिर उनसे सबक लेकर फिर से हवाओं के रुख मैं छलांग लगते है, और इस बार पतंग उड़ जाती है ! हम खुश होते हैं, लटाई से धागे अपने आप धीरे धीरे निकलती है, ऊपर और ऊपर !  

पतंग के धागे जीतने मजबूत होते है, पतंग उतनी ही मजबूती के साथ हवाओं के थपेड़ों को झेलते हुए  आसमान में दम लेती है,   जिंदगी में ये धागे हमारे संस्कार होते हैं जो हमे सदा अच्छे उर बुरे वक़्त में हमारे साथ होती है! पतंग हवा में कलाकारी करती है, बादलो कि तरफ, उनसे भी ऊपर उड़ने के लिए दम भरती है, और यह भरोसा उसे इसलिए होता है क्यूँ कि उसे मालूम है कि जिसके भी हाथ में उसकी डोर है वो उसे कटने नहीं देगा! कई बार पतंग सोंचती है कि, इस बंधन से मुक्त होकर आकाश में कहीं दूर चली जाये, पर तभी अचानक उसे ये एहसास  होता कि शायद इससे अलग होने के बाद उसका अस्तित्व ही मिट जाये! 

वो बार-बार जोर-जोर से अलग होने कि कोशिश करता है पर अलग नहीं हो पाता, क्यूंकि शायद जो उसे थामे बैठा है उसे मालूम है कि अगर उसने ये डोर छोड़ दी तो वो कभी भी वापस नही आ पायेगा, और शायद कहीं दूर जाकर किसी पेड़ या तार मैं फंसकर अपना अस्तित्व बर्बाद कर लेगा! वो उसे थामे रखता है, उसे अपने हिसाब से पहले उड़ना और फिर जीना सिखाता है! हमारी जिंदगी में ये मजबूत हाथ हमारे माता -पिता के होते हैं, जो हमे जिन्दगी की शुरुआत में हाथ पकड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं, मुशिबतों से बचाते हैं!


पतंग हवा में अभी भी उड़ रही होती है! तभी कुछ और  पतंग आकाश में आ जाते हैं, कुछ अच्छे जो दुसरे पतंगों के साथ साथ हवा में उड़ते हैं, मजे लेते हैं, चिड़ियों को चिढाते है, पर कभी भी आपस में नहीं झगड़ते, आसमान में अपनी रंग बिरंगी अदाओं से सबका दिल खुश करते हैं, मन बहलाते हैं, अकेलापन दूर करते हैं, ये वो हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं! ये सदा आपके साथ रहते हैं, भरोसा करते है कि ये कभी आपकी डोर नहीं काटेंगे, आपके साथ रहेंगे!

पर तभी कोई दूसरी पतंग आती है, जिन्हें आपका उड़ना अच्छा नहीं लगता, उन्हें देख कर बाकी पतंगे सहम से जाती है, कुछ वापस तो कुछ उनसे दूर भागने कि कोशिश करती हैं! जो भी उनके चपेट में आता है, वो उन्हें उनकी डोर से अलग कर देते है, कहीं दूर जाने को मजबूर करते हैं, आकाश में जैसे चूहे बिल्ली कि जैसी दौड़ सी मच जाती है, ये वो है जो जिंदगी में एक रुकावट कि तरह होते है, जिन्हें आपका बढ़ना, आपका उड़ना, अच्छा नहीं लगता! 
पतंग को डर लगता है पर फिर भी वो लडाके के सामने उड़ता रहता है, लड़ाका उसे बार-बार भाग जाने कि धमकी देता है, पर पतंग डट कर उडता है, उससे टकरता है और उसे धमकता है, लडाका हारकर भाग जाता है या फिर पतंग से टकराकर, कटकर कहीं दूर खो जाता है! जिंदगी में भी हम कुछ इसी तरह के दावं-पेच लड़ाते हैं, साहस से मुश्किलों का सामना करते हैं और अपनी उडान पूरी करते है! लड़ाके पतंग कि तरह हमे भी कई लोग मिलते है जो हमे रोकते है, मुश्किलें पैदा करते हैं, पर हम अगर ना डरे, उपरवाले पे भरोसा रखे तो सब ठीक होता है, हम भी पतंग कि तरह कामयाब होते हैं!

पतंग आकाश मैं देर तक उड़ते रहता है, वो एक के बाद एक उड़न भरता है, आगे बढ़ता है और ....

To be Continued ....


pratik'