Fortune . . . .
April 11, 2012
November 16, 2011
तू ही बता दे . . . . तेरी ये जगह किसको दूँ ????
थोड़ी देर पहले, दिल में कुछ खालीपन सा महसूस हुआ,
झाँक कर दिल में देखा तो, तू वहां नहीं थी !
खली पड़ी वो जगह, अजीब सा माहौल था,
तेरे चले जाने से, अब ये दिल गमगीन था !
सोचता हूँ की, अब तेरी ये जगह किसको दूँ ?
ख्याल आया, क्यूँ न इसे खुशियों से भर दूँ !
पर मेरी ख़ुशी तो तू ही थी, अब तुझे कहाँ से वापस लाऊं ?
अब तू ही बता दे, तेरी जगह अब मैं और किसे अपनाऊ !
तेरी जगह का सौदा अब दोस्ती से करना चाहता हूँ,
तुझ जैसी अब दोस्त कहाँ, अब ये सौदा भी ना कर सकता हूँ !
अब तू ही बता दे, तू ही तो इस दिल में बसा करती थी,
आखिर दूँ मैं किसको ये जगह, जहाँ तू कभी रहा करती थी !
तेरे रहते गम का साया, पास भी कभी ना आया था,
तेरी जगह पर हक ज़माने वो भी सज धज कर आय था !
तुझे अपनाकर, दिल पर अपना हक भी मैंने खोया था,
तू ही बता दे, आखिर कैसे तुने गम को रोका था !
तेरी जगह पर पहरा लगाकर, चुपचाप युहीं बैठा हूँ,
तेरे वापस आने के इंतज़ार में, आस लगाकर बैठा हूँ !
वही सवाल अब भी है मन में, फिर से तुझसे पूछता हूँ,
अब तू ही बता दे, तेरी जगह पर और किसे मैं रख सकता हूँ !!!!
अब तू ही बता दे . . . .
pratik'
September 27, 2011
O Pukarne Wale . . . .
O pukarne wale jara jor se pukarna,
kahin teri aawaj sun na paun ....
O pukarne wale jara dil se pukarna,
kahin dil ki aawaj ko ansuni na kar dun ....
O pukarne wale jara jaldi pukarna,
kahin mujhe der na ho jaye ....
O pukarne wale kuch aise pukarna,
kahin bi rahun teri aawaj sun lun ....
O pukarne wale tu bhul na jana,
kahin ye intezar aur lamba na ho jaye ....
O pukarne wale tu hi pukarna,
kahin mujhe kisi aur ka bhram na ho jaye ....
O pukarne wale ek baar jaroor pukarna,
kahin main sirf usi ki raah na dekh raha ho ....
O pukarne wale, bus ek baar, bus ke baar,
pukar ke to dekhna !!!!
pratik'
August 29, 2011
Wo Ek Shaam ....
Ek shaam, baitha kuch soch raha tha .....
Ek shaam, baitha hawaon se khel raha tha ....
Ek shaam, baitha khud ko pehchan raha tha ....
Ek shaam, baitha jindagi ko dundh raha tha ....
Ek shaam, jindagi udas hui thi ....
Ek shaam, tu kahin dur khadi thi ....
Ek shaam, jindagi mushkura rai thi ....
Ek shaam, tu haath thame pas khadi thi ....Ek shaam, mujhe ek umeed hui thi ....
Ek shaam, mujhe ek nayi raah dikhi thi ....
Ek shaam, khud se mulakat hui thi ....
Ek shaam, meri pehchan nayi thi ....
Ek shaam, barish mein yun bheeg raha tha ....
Ek shaam, band aankhon ke piche jaag raha tha ....
Ek shaam, andheron mein kuch tatol rha tha ....
Ek shaam, jindagi ko dhund raha tha ....
Ek Shaam jindgai ....
pratik'
August 6, 2011
Ek Aakhiri Baar
Har baar sochata tha …. Kuch naa kahunga ….
Har baar sochata hun …. Is baar kuch kahunga ….
Kuch dur nikal gaya hun …. Shayad ab laut ke wapas na aa paaunga
Kehna chahta hun …. Par ab shayad kabhi na keh paaunga ….
Kaise bataun …. Ab mujhe kiska intezar hai ….
Naa chahte hue bhi …. Aane wali us maut ka intezar hai ….
Aakhiri baar sone se pehle …. Maut se yeh kehna chahta hun ….
Thoda sa waqt de de mujhe …. Main “usse” kuch kehna chahta hun ….
Dar lag raha hai …. Sahyad ab chah ke bhi kuch keh na paunga ….
Dhadkane tham si rahi hai …. Ab shayad kuch na keh paunga …..
Kuch na keh paunga ….
(He love her .... He want to tell her .... But, He is dying with Can*er .... He can't tell her ....)
pratik'
August 5, 2010
मैं खुली आँखों से सपने देख रहा हूँ . . . .
मैं खुली आँखों से सपने देख रहा हूँ,
जिंदगी को आगे बढते देख रहा हूँ !
खुशियाँ, मंजिले अब पीछे छुट रही हैं,
अपने आप को दो कदम आगे देख रहा हूँ !
आज मुझे मंजिलों की उचाईयों से डर लगता है,
उन्हें न पाने का भ्रम लगता है !
पर सपने में उन्हें हराने का हौसला दिखता है,
अब मुझे सब कुछ सच लगता है !
अभी सारे साथी मुझे अकेला कर रहे हैं,
पर मुझे आगे बढ़ने का हौसला दे रहे हैं !
सपनो की दुनिया भी अजब कसक दे रही है,
कल वहाँ सबके साथ की कसम दे रही है !
रुकने का अब जी नहीं चाहता,
सपनो से बाहर अब मन नहीं मानता,
ये आखिर हो क्या गया मुझे,
कहीं मैं खुली आंखों से सपने तो नहीं देख रहा . . . .
pratik'
July 13, 2010
Its My "Mistake" ....
Part 1 - 28th June, 2010
“हाँ, मैं टिकट ले रहा हूँ, अभी सीट खली है मिल जायेगा” (मैंने फोन पर पापा से कहा)
“वैसे कब की टिकट मिल रही है”
“13th July की, उनका इंडक्शन 16th को है न?”
“हाँ, किसी ऐसी ट्रेन मैं लेना जो यहाँ से सीधे वहाँ पहुंचे”
“गरीब-रथ में खाली है, और ट्रेन भी अच्छी है, ले लूँ?”
“ठीक से देख कर ले लो”
(फिर मैंने फोन रख दिया)
थोड़ी देर इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर इधर-उधर करने के बाद टिकट मिल गया! मैंने पाप को फोन किया और टिकट मिल जाने की बात कही!
“ट्रेन यहाँ से कितने बजे है?”
“रात के साढ़े बारह बजे”
“ठीक है, 13th को ना?”
“हाँ”
(फिर मैंने फोन रख दिया)
Part 2 - 12th July 2010
मेरे फोन की एयरटेल टोने ने मेरी नींद में दखल दिया! मैंने स्क्रीन पर आ रहे नाम को देखा! पापा फोन कर रहे थें! मैंने जैसे तैसे होश संभाला और फोन का ग्रीन बटन दबाया!
“हेलो”
“हाँ, बोलिए!”
“अभी तक सोये हुए हो?”
“हाँ, कल रात काफी देर से सोया” (मैंने अनमने ढंग से जवाब दिया)
“ठीक है, उठो तो फोन करो मुझे” (पापा समझ गए, मैं नींद मैं हूँ)
“ठीक है, मैं करता हूँ”
फोन रखने के 20 min. बाद मैं उठा, और फिर सबसे पहले मेसेज देखे! फिर पापा का नंबर डायल किया! इसी बीच में मैंने लैपटॉप ऑन किया! और इन्टरनेट चालू होने का इंतज़ार कर रहा था!
“हेलो”
“हाँ, बोलिए”
“तुमने टिकट अभी तक मेल नहीं किया है क्या”
“नहीं, अभी थोड़ी देर मैं करता हूँ”
“जल्दी करो मैं होल्ड करता हूँ”
“नेट शुरू नहीं ही हो रहा है” (नेट में कुछ प्रॉब्लम था), मैं जैसे ही नेट चालू होता है आपको मेल करता हूँ”
“ठीक है, जल्दी करो, मैं ऑफिस में चार बजे तक ही हूँ”
“ठीक है”
इतना कह कर मैंने फोन रख दिया, मैं नेट कंनेक्ट होने का इन्तेजार कर रहा था! करीब तीन बज
गए, नेट कंनेक्ट नहीं हो पाया! इस बीच पापा ३ बार और फोन कर चुके थें!
“अभी तक नहीं भेजा?’
“नहीं, क्न्नेक्ट नहीं हो रहा”
“अच्छा अपना पासवर्ड दो, मैं यहाँ से निकाल लेता हूँ!”
“मैं आपको रात तक मेल करता हूँ कल आप सुबह टिकट ले लीजियेगा, ट्रेन तो रात में है ना”
“ठीक है, जैसा बोलो”
“हाँ, कल सुबह घर से ही निकाल लीजियेगा”
“ठीक है, तुम भेज देना”
“हाँ, पक्का! नेट चालू होते ही भेजता हूँ”
नेट चालू नहीं हुआ, शाम के करीब ५ बजे के आस पास में जब नेट चालू हुआ तो मुझे किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा! मैंने सोंचा रात को मेल कर देता हूँ!
Part 3 – 13th July 00:30 hrs
रात के करीब साढ़े 12 बजे, मैंने टिकट मेल करने की सोंची! मैंने अपना इंडियन रेलवे का अकाउंट
log-in किया, और टिकेट कॉपी करके मेल करने लगा! तभी मैंने ट्रेन की departure time देखी! एक पल के लिए मानो मेरे होश ही उड़ गए!
मैंने हडबड में पापा को फोन किया!
“ट्रेन तो आज रात की ही है”
“क्या बात कर रहे हो” (पापा नींद में ही हडबडाकर बोले)
“हाँ, dep. Time 12.34 रात का है! मतलब ट्रेन 13th को तो है, पर आज ही रात में”
थोड़ी देर के लिए जैसे सब कुछ रुका सा गया हो! मुझे समझ नहीं आ रहा थाम कि मैं क्या करूँ! बस, चुप-चाप अब डाट सुनने L का इंतज़ार कर रहा था! और अगले ही पल ....
“मैंने बोला था तुम्हे, मुझे मेल कर दो, पर तुम तो ....” (पापा मुझपर ....) L
“मुझे बिलकुल नहीं .... (मुझे अपनी इतनी बड़ी गलती का एहसास था, पर मैं अब चाह के भी कुछ नहीं कर सकता था” L
“हाँ, अब कर भी क्या सकते हैं, अगर जब मैंने बोला था तो भी मेल कर देते तो शायद .... (पापा गुस्से में बोले)” L
“मैं चुप-चाप डाट सुनते रहा, मैं अब कर भी क्या सकता था .... (मुझे अपनी गलती का एहसास था .... ) L
जिंदगी में हमसे, कभी-कभी अनजाने में कुछ ऐसा हो जाता है, जिसके लिए हम चाह के भी कुछ नहीं कर पातें! पर, हाँ! उनसे जो सिखने को मिलता है, वो हम कभी नहीं भूलते!
pratik'
July 12, 2010
An "Untold" story .... (continued)
Second Chapter -
हम दोनों साथ थें! एक-दूसरे से चिपके पड़े! मैं उसके सांसों की गर्मी महसूस कर सकता था! वो बिना कुछ बोले, बस मुझसे लिपटी पड़ी, आने वाले पल का इंतज़ार कर रही थी!
“तुम्हे डर तो नहीं लग रहा”
“लग रहा है, हम पकडे गयें तो?”
“डर मत! मैं हूँ तेरे साथ, बस मुझे पकड़ के रखना”(मैं धीरे से फुसफुसाया)
उसने अपने हाथों के घेरे को कसते हुए, मुझे और जोर से पकड़ लिया! मेरे शरीर में एक अजब सी सिरहन सी दौड गयी, एक अजीब सा एहसास मुझे घेरे जा रहा था! मैंने उसकी तरफ देखा, वो चुप-चाप आँखें बंद किये, अपने सर को मेरे सीने से लगाये ना जाने क्या सोंच रही थी, उसका वो मासूम सा चेहरा मानो दिल में ही उतर गया! वो डर रही थी, उसके डर को कम करने को, मैंने अपने हाथों को उसके चारों तरफ मजबूत करते हुए ये एहसास दिलाया कि, मैं उसके साथ हूँ!
“डर मत! हमे कोई भी नहीं ढूँढ पायेगा! बस थोड़ी देर और फिर हम ....” (उसने मेरी बात को बीच में ही काट दिया)
“मुझे मालूम है, तू है न मेरे साथ?” (उसने मेरी तरफ देखते हुए पूछा)
मैंने सिर्फ सर हिलाकर, हामी भर दी!
हम दोनों एक अजीब से मतलब को जी रहे थें! आज पहली बार वो मेरे इतने करीब थी! सबकुछ भूलकर,बस इंतज़ार कर रहे थें! करीब आधे घंटे तक मैं उस एहसास का कायल होता रहा! घडी की टिक-टिक और उसकी गर्म साँसे जो मेरे गर्दन को छु रही थी, उनकी वजह से दिल बेचेंन सा हो रहा था! उसकी साँसों की खुसबू तो जैसे मेरे अंग-अंग को मदहोश कर रही थी! मैंने अपने हांथों को, धीरे से सरका कर उसके कमर के करीब रख दिया, वो अब भी मुझे जोर से पकडे हुई थी!
तभी अचानक, एक जानी-पहचानी सी आवाज ने हम दोनों को चौंका दिया! कोई हमारी तरफ ही आ रहा था ....
“अब क्या होगा ? चलो चलते हैं”
“चुप हो जाओ” (मैंने धीरे से, उसे चुप होने के लिए कहा)
“पर हम पकडे गयें तो”
“तुम प्लीज ऐसी बातें मत करो, कुछ नहीं होगा” (डर तो मुझे भी लग रहा था, पर मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए, बस जो मन में आया वो कह दिया)
वो आवाज धीरे-धीरे पास आ रही थी, हमारी धडकनों की रफ़्तार करीब दुगनी हो गयी थी! हमे पकडे जाने का डर सता रहा था! हम बिलकुल शांत पर घबराए हुए थें, बस इंतज़ार कर रहे थें ....
और तभी .... “तुम दोनों” (किसी ने हमे देखकर चौंकते हुए पूछा) !
Who is she?
Where we are?
Who Caught us?
will answer all these in its next Chapter.
Follow me for 3rd Chapter. To be Continued ....
pratik'
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July 11, 2010
मैं तेरे पास आना चाहता हूँ ....
तू कहाँ है! मैं बहुत परेशान हो गया हूँ, थक गया हूँ, तेरी बहुत याद आ रही है! कुछ महीनो से भागते-दौड़ते हिम्मत टूट सी गयी है, अब तेरी गोद में सिर रखकर सोने का मन हो रहा है! भाग कर, सब कुछ छोडकर, बस तेरे पास आना चाहता हूँ! कई दिनों से ठीक से सोया तक नहीं हूँ! कल रात सपना देखा, “मैं तेरे पास हूँ, तू अपने हाथों से खिला रही है, मेरे सर पे हाथ फेर कर मेरे बालों को संवार रही है, इस बरसते प्यार को मैं अपनी झोली में भर लेना चाहता था, पर अचानक मेरी नींद खुल गयी, अपने आप को अकेला पाया, उदास हुआ, फिर पूरी रात सो नहीं पाया” मुझे तेरे पास आना है, मैं परेशान हो गया हूँ!
मैं कितने दिनों से अकेले इस अनजान शहर में एक-एक दिन काट रहा हूँ! जब से यहाँ आया हूँ, तब से मेरी उलझने बढ़ सी गयी है! कोई सुनने वाला नहीं है, बहुत कुछ बोलना चाहता हूँ, बहुत कुछ कहना चाहता हूँ, पर ....
“माँ” तू कहाँ है! तेरी तरह मेरा ख्याल रखने वाली मेरी खूबसूरत सी परी भी मुझसे रूठ सी गयी है, वो नन्ही सी जान भी मुझसे कई हजार मील दूर है, माँ आज मुझे तेरी बहुत याद आ रही है! माँ, मेरे पास आ जा, अपने सिने से लगा के मुझे अपनी ममता की छावं में थोड़ी देर के लिए छिपा ले! मम्मा अपने स्नेह के चादर से मुझे ढँक कर मुझे पनाह दे दे, मैं सिर्फ तेरे साथ रहना चाहता हूँ, तेरे पास रहना चाहता हूँ! माँ, तेरा ये बच्चा, समझाते-समझाते थक सा गया है, अपने गरिमामयी आँचल से मुझे ठंडक दे दे! माँ मुझे कहीं दूर ले चल, वरना ये दुनिया वाले तेरे बच्चे को जीने नहीं देंगे ....

माँ मैं खो जाना चाहता हूँ, इस जगह से दूर जाना चाहता हूँ, तू बस मेरे पास आ जा! मुझे मेरे बचपन में लेके चल, जहां तू मेरी गलतियों को भी मुशकुरा कर माफ कर देती थी, मेरी ढाल बनकर किसी भी मुशीबत से मुझे दूर रखती थी, दूर खड़े होके मुझे अपने छोटे-छोटे पैरों पे चलता देखती थी, जहाँ तू सिर्फ इसलिए खुश रहती थी, क्यूंकि मैं खुश रहता था! माँ आज वो खुशी, मेरे से रूठ सी गयी है, मुझे वो वापस दिला दे, तू बस! मेरे पास आ जा .... (Missing u Mum)
pratik'
July 9, 2010
Love, Friendship, Trust & Forgive
जब कोई बात बिगड जाये, जब कोई मुश्किल पड़ जाये, तुम देना साथ मेरा ओ हमनवा ! न कोई है, न कोई था, जिंदगी मैं तुम्हारे सिवा, तुम देना साथ मेरा ओ हमनवा !
प्यार वो आधार होता है जिसके सहारे हम अपनी पूरी जिंदगी गुजार लेते हैं ! ये वो अनमोल इकाई है, जो हमे दूसरों से बांधे रखता है! प्यार वो एहसास है जिससे शब्दों में बयां नहीं कर सकते! यह अद्भुत है, सुन्दर है, बहुमूल्य है, यह अविरल है! यह एक दूसरे के प्रती निष्ठा और विश्वास का प्रतीक है! जहां प्यार होता है वहाँ तकरार भी होता है! तकरार यह दिखाता है कि तुम्हारा प्यार
कितना गहरा है!

गुरूजी ने ठीक ही कहा है, हम अगर किसी की भलाई के लिए, कुछ अच्छा करने के लिए अगर गलत तरीके का सहरा लें या गलत हो तो उसके पीछे छिपी उसकी मंशा को देखे न की उसके तरीके को! जो इंसान तुम्हे प्यार करता है, वो चाह के भी तुम्हारे लिए बुरा नहीं सोंचेगा, बुरा नहीं बोलेगा, वो तो बस तुम्हे चाहता है, और तुम्हे ये समझना चाहिए कि उस इंसान के ऐसा करने के पीछे उसकी क्या मंशा थी, उसके ऐसा करने से तुम्हे क्या मिला! वो तो तेरी खुशी के लिए, तेरी सिर्फ एक मुश्कान के लिए शायद कुछ भी करे, शायद कहीं वो गलत भी हो, पर तुम्हे तो समझना चाहिए, की उसने ऐसा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए किया! अगर वो कोई बात करता है, जो तुम्हे बुरी लगे, ये जरूरी नहीं है की उसने ये जानबूझ के किया हो, हो सकता है, वो भी तुमसे वो चीज ना चाहता हो, पर उसने उसे बताने के गलत तरीके से बोला हो, कम से कम तुम्हे तो ये समझना चाहिए क्यूंकि तुम शायद उसकी दोस्त हो, उसकी पत्नी हो, उसकी बहन हो! अगर तुम किसी रिश्ते को निभाना चाहते हो, चाहे वो, दोस्ती का हो, प्यार का हो, भाई-बहन का हो, तुम्हे समझना चाहिए, जो तुम्हे प्यार करता है, वो तुम्हारा दिल कभी भी जानबूझकर नहीं दुखायेगा!

किसी भी इंसान के लिए सबसे बुरा दिन वो होता है, जब कोई अपना उससे रूठकर कहीं दूर चला जाये! पर, उस इंसान को रूठने से पहले कम से कम एक बार तो रुक कर ये जानने की कोशिश तो करनी चाहिए की उसने ऐसा क्यूँ किया! शायद उसने ऐसा सिर्फ तेरा प्यार पाने के लिए किया हो, इसमें उसकी गलती क्या है ? वो बेचारा तो सिर्फ तेरे सपने संजोये, तेरी दोस्ती और भरोसे को पाना चाहता है, अगर उसने कहीं गलत तरीके से कुछ कह भी दिया, तो कम से कम एक दोस्त के नाते तुम्हे तो समझना चाहिए, उसपे भरोसा करना चाहिए!
हाँ, मैं सिर्फ प्यार के लिए जीता हूँ, नहीं चाहिए मुझे धन दौलत, नहीं चाहिए ऐसो आराम, मुझे तो बस तेरा भरोसा चाहिए, तेरा दोस्ती चाहिए और कुछ नहीं !
Appreciated by Blog of Sri Sri Ravi Shankar Ji [blog - Faith is to love something you have no idea about.]
pratik'
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